जय हिंद
मैंने कई लोगों से एक प्रश्न पूछा आप से भी पूछता हूँ । कायरता और अहिंसा में
क्या अंतर है।गाँधी जी ने कहा था कि कोई तुम्हारे एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा
गाल भी आगे कर दो उनकी नजर में ये आहिंसा थी । यदि दुर्भाग्य से गाँधी जी गृह
मत्री बन जाते तो जरा सोचो आज हम अंग्रेजो के नहीं तो किसी और के गुलाम होते । यदि
गुलाम नहीं होते तो भारत अखंड नहीं खंड खंड होता ,यदि
वो प्रधान मंत्री बन जाते तो आज हम पर चीन और पाकिस्तान का कब्ज़ा होता,यानि जीवन के कई महत्त्वपूर्ण पदों पर उनकी अहिसा
कामयाब नहीं थी यानि जिस क्षेत्र से वो थे उस क्षेत्र में तो अहिंसा कामयाब नहीं
थी ।एक बात बताइए यदि कोई आदमी किसी मरखने बैल के सामने गलती से पहुँच जाता है ,और बैल उसे मारता है तो उस अहिंसक व्यक्ति को क्या
करना चाहिए । आप कहेंगे की उसे वहां से जान बचा कर भाग निकलना चाहिए । अब इसी घटना
में बैल की जगह आदमी को घुसा दे तब उसे क्या करना चाहिए भागना चहिये या पीटना
चहिये ???? अगर वो भाग जाता है तो
लोग उसे कायर कहेंगे,हाँ अगर वो पिटते -2 प्राण त्याग देता है तो वो सही मायनो में अहिंसक हुआ
। मरने वाले व्यक्ति ने तो अहिंसक होना सिद्ध कर दिया लेकिन जिस व्यक्ति ने जान ले
ली उसके हाव्जे बढेंगे वो और लोगों को मरेगा और एक दिन कुख्यात हो जायेगा नरभक्षी
हो जायेगा । अहिंसा का मतलब ये नहीं है की कोई आप को घूसा मरे तो आप कहे की भैया
लात भी मारो ये कायरता है । अहिंसा का मतलब है की हम किसी को न सताए किसी को
परेशां न करे जिए और जीने दे लेकिन सही ढंग से ,अगर
आप के सामने कोई किसी को सता रहा है तो आप वहां जाये और न्याय करे यदि फिर भी बात
न बने तो उसे दण्डित करे (डाट डपट कर)। याद रखे हमें अहिंसा (कायरता) से आज़ादी
नहीं मिली और अगर हम ऐसा मानते है तो हम गली देते है मंगल पाण्डेय ,झाँसी की रानी,भगत
सिंह ,चन्द्रशेखर आजाद ,रामप्रसाद
विस्मिल जैसे देश भक्तो को जिन्होंने आपनी जान दे दी सिर्फ इसलिए की हम आजाद मुल्क
में साँस ले सके ,मै भी अहिंसक हूँ लेकिन
गाँधी जी वाला अहिंसक नहीं हूँ।
आगे हम बात करेंगे की अहिंसा कामयाब है कहाँ यानि किस क्षेत्र में ?
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