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Wednesday 16 May 2012

मांसाहार


यदि हम मांसाहार का विरोध करते है तो उसका एक मुख्य कारण ये बताते है की जीव हत्या पाप है यदि केवल एक यही कारण है तो एक प्रश्न का उत्तर दे
डॉक्टर जगदीश चंद्र बशु ने सर्वप्रथम कहा था की हरएक पेड़ पोधे में प्राण है वो सुख दुःख का अनुभव कर सकता है यदि हम उसको कटते है तो उसको मृत्यु दंड देते है उसको वैसा ही अनुभव होता है , आज इस बात को सारा विश्व (मेडिकल साइंस) मानता है इसका अर्थ ये हुआ की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हम भी जीव हत्या करते है

ईश्वर


जय हिंद

मै नहीं जानता की ईश्वर है या नहीं। उसका कोई अस्तित्व है या नहीं। यह एक बड़ी बहस का मुद्दा है । लेकिन एक सवाल मेरे मन में जो है वो ये की अगर ईश्वर है तो कोन सा धर्म ठीक है । क्रपा कर ये ना कहे की सभी धर्मो का निचोड़ या मंजिल एक ही है। अगर आप अलग-२ धर्मो का गहन अध्यन करेगे तो पायेगे की सभी धर्म एक दुसरे के पूरक है । लेकिन अध्यन करते समय आपकी भावना निस्वार्थ होनी चाहिए या फिर सबसे उत्तम ये है की मुस्लमान सनातन धर्म का अध्यन करे और हिन्दू कुरान का क्योकि मुसलमान सनातन धर्म में त्रुटी निकल सकते है और हिन्दू कुरान में । आप हिन्दू हो ना मुस्लमान हो ना सिख हो ना ईसाई आप सिर्फ एक इंसान हो अगर आप ऐसा सोच कर कोई भी धर्म ग्रन्थ पढ़ते हो तो आप पाएंगे की हर धर्म मै कुछ ना कुछ त्रुटी अवश्य है । और हमें उन्हें सुधरने की आवस्यकता है । जो मायने आज हमारे लिए संविधान के है वही उस समय धर्म ग्रंथो के थे इसीलिए अलग अलग देश में अलग -२ धर्म अर्थात अलग -२ संविधान होते थे आज भी होते है ।

मेरा सभी धर्म के अनुययों से प्रश्न है
१. क्या ईश्वर सर्वशक्तिमान है ?
(अगर ईश्वर सर्वशक्तिमान होता तो उसके अनुययों के साथ कभी बुरा ना हुआ होता उसके मानने वालो को कोई हानि नहीं हुई होती वो निश्चिन्त और सुखी होता, लेकिन मेरे विचार से शायद ही कोई निश्चिन्त और सुखी मिले । कृपया ये ना कहे की लोग ईश्वर को पूर्ण श्रद्धा से नहीं मानते इसीलिए दुखी है,ठीक है हो सकता है की किन्तु ईश्वर तो सर्वशक्तिमान है क्या वो उनको सही राह पर नहीं ला सकता उसको तो कोई भूमिका बनाने की आवश्यकता नहीं है ।)

२. क्या इश्वर दयालु कृपालु है ?
(मुझे पुराणों धर्म ग्रंथो का हवाला न दे और इतिहास के पन्नो को पलट कर ये बताएं की एक दो को छोड़ कर कोण सा राजा एक अच्छा इन्सान था किसने इंसानियत पर दया दिखाई सब ने हाथ में तलवार लेकर शासन  किया और शायद ही इतिहास के पन्नो में  कोई राजा ऐसा मिले जिसकी तलवार ने किसी इन्सान का रक्त न पिया हो फिर भी वो शान से रहे।तो क्या ईश्वर यही चाहता है की जिसकी लाठी उसकी भैंस ।)

३.क्या ईश्वर चापलूसी पसंद नहीं है ।
( यदि नहीं तो कोई उसकी आराधना करे अथवा नहीं उसे कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे आप ५ वक्त नमाज अदा करो या १ वक्त या बिलकुल नहीं यदि ईश्वर चापलूसी पसंद नहीं है तो वो उसे पसंद करेगा जो अच्छा और सच्चा इन्सान है जिसने कभी किसी का छीन कर नहीं बल्कि बाँट कर खाया हो जिसके ह्रदय में किसी प्राणी के लिए कोई दुश्भाव न हो)

४. क्या ईश्वर का अलग-२ प्राणियों के लिए अलग -२ कानून है ?
क्योंकि सभी प्राणियों का जन्मदाता और पालनहार वो ही है इसलिए सभी प्राणी उसके पुत्र और पुत्रियाँ है । इसलिए निश्चित रूप से उसके संविधान में  एक कबूतर को मरने की सजा भी वही होगी जो एक मनुष्य को मारने की होगी । क्योंकि प्राकृतिक  स्वभाव  है की मेरे चाहे १० बच्चे हो मुझे सभी प्रिय होंगे अव्वल यदि उनमे से एक बच्चा कोई पाप कर दे तो भी मैं उसे दण्डित करके अंततः क्षमा कर दूंगा नाकि उसे गर्म तेल की कडाही में तलुंगा (पकाऊंगा ) या उसे सदा सदा के लिए नरक की ऐसी आग में झोंक दूंगा जिसमे वो सदा जलता रहेगा, तड़पता रहेगा, क्षमा याचना करता रहेगा लेकिन दयालु ईश्वर उसके बाद उसे देखने नहीं जायेगा ।  

यदि मेरे द्वारा कही गयी किसी भी बात से किसी भी व्यक्ति को ठेस पहुंची हो ,हानि हुई हो , या किसी भी प्रकार का कष्ट हुआ हो तो मै क्षमा प्रार्थी हूँ कृपया मुझे क्षमा करे  मै परस्पर प्रेम बढ़ाना चाहता हूँ नफरत नहीं ।                                                                   



                                                                                                                                            गौरव त्यागी
३०.०८.२०११
                                                                                                                                      

कायरता


जय हिंद 
मैंने कई लोगों से एक प्रश्न पूछा आप से भी पूछता हूँ । कायरता और अहिंसा में क्या अंतर है।गाँधी जी ने कहा था कि कोई तुम्हारे एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल भी आगे कर दो उनकी नजर में ये आहिंसा थी । यदि दुर्भाग्य से गाँधी जी गृह मत्री बन जाते तो जरा सोचो आज हम अंग्रेजो के नहीं तो किसी और के गुलाम होते । यदि गुलाम नहीं होते तो भारत अखंड नहीं खंड खंड होता ,यदि वो प्रधान मंत्री बन जाते तो आज हम पर चीन और पाकिस्तान का कब्ज़ा होता,यानि जीवन के कई महत्त्वपूर्ण पदों पर उनकी अहिसा कामयाब नहीं थी यानि जिस क्षेत्र से वो थे उस क्षेत्र में तो अहिंसा कामयाब नहीं थी ।एक बात बताइए यदि कोई आदमी किसी मरखने बैल के सामने गलती से पहुँच जाता है ,और बैल उसे मारता है तो उस अहिंसक व्यक्ति को क्या करना चाहिए । आप कहेंगे की उसे वहां से जान बचा कर भाग निकलना चाहिए । अब इसी घटना में बैल की जगह आदमी को घुसा दे तब उसे क्या करना चाहिए भागना चहिये या पीटना चहिये ???? अगर वो भाग जाता है तो लोग उसे कायर कहेंगे,हाँ अगर वो पिटते -2 प्राण त्याग देता है तो वो सही मायनो में अहिंसक हुआ । मरने वाले व्यक्ति ने तो अहिंसक होना सिद्ध कर दिया लेकिन जिस व्यक्ति ने जान ले ली उसके हाव्जे बढेंगे वो और लोगों को मरेगा और एक दिन कुख्यात हो जायेगा नरभक्षी हो जायेगा । अहिंसा का मतलब ये नहीं है की कोई आप को घूसा मरे तो आप कहे की भैया लात भी मारो ये कायरता है । अहिंसा का मतलब है की हम किसी को न सताए किसी को परेशां न करे जिए और जीने दे लेकिन सही ढंग से ,अगर आप के सामने कोई किसी को सता रहा है तो आप वहां जाये और न्याय करे यदि फिर भी बात न बने तो उसे दण्डित करे (डाट डपट कर)। याद रखे हमें अहिंसा (कायरता) से आज़ादी नहीं मिली और अगर हम ऐसा मानते है तो हम गली देते है मंगल पाण्डेय ,झाँसी की रानी,भगत सिंह ,चन्द्रशेखर  आजाद ,रामप्रसाद विस्मिल जैसे देश भक्तो को जिन्होंने आपनी जान दे दी सिर्फ इसलिए की हम आजाद मुल्क में साँस ले सके ,मै भी अहिंसक हूँ लेकिन गाँधी जी वाला अहिंसक नहीं हूँ।
आगे हम बात करेंगे की अहिंसा कामयाब है कहाँ यानि किस क्षेत्र में ?